मंहगाई
गीत
विजय सिंह मीना
जाने कौन दिशा से आई, बैरन ये मंहगाई ।
सबकी नाखुश करी लुगाई, सुन मनमोहन भाई ।
जाने कौन दिशा..............
1-फल सब्जी को खाना छोडा इसमे रही भलाई ।
आटा में भी घाटा हो गया कभी नींद ना आई ।
ऐसी मिल सरकार बनाई,
क्या क्या आस लगाई .।
जाने कौन दिशा..............
2- आम आदमी की थाली में दाल नजर नहीं आवे ।
प्याज बना सोने का तमगा शूरवीर ही पावे ।
मिर्ची हरी भरी नहीं पाई,
लहसुन भी हरजाई ।
जाने कौन दिशा..............
3- मांग और सप्लाई की तुम देते रहे दुहाई ।
चोर और सट्टेबाजो ने जमकर करी कमाई ।
वे ही प्याज पाक से आई,
जो तुमने भिजवाई ।
जाने कौन दिशा..............
4- पेट्रोल डीजल ईधन में तुमने आग लगाई।
भोले भाले कृषकजनो की मौत कर्ज से आई ।
कैसे कर दोगे भरपाई,
लाशो के सौदाई ।
जाने कौन दिशा..............
5- गुड चीनी के भाव बढाकर तुमने नाम कमाया ।
इसी बहाने मधुमेह पर तुमने काबू पाया ।
नकली खोवे की बन आई,
दीवाली भरमाई ।
जाने कौन दिशा..............
6- खाद्य मन्त्री को खेलो से फुरसत कौन दिलाये ।
मंहगाई के चौके छक्के जमकर ही बरसाये ।
जनता कर रही त्राहि त्राहि,
सुनो सोनिया माई ।
जाने कौन दिशा..............
7- कामनवेल्थ के खेलो में भी खूब हाथ अजमाया ।
घोटालो के विश्वविजेता जग को ये दर्शाया ।
करदी भारी जगत हंसाई,
टीम अधूरी आई ।
जाने कौन दिशा..............
8- भाव दूध के महिने भर में कितनी बार बढाये ,
मां का पल्लू पकड पकड कर बच्चे रुदन मचायें ।
तब भी तनिक शरम नहीं आई ,
क्यों बन गये कसाई ।
जाने कौन दिशा..........
9- विचलित जनता खडी सड़क पर हाय हाय चिल्लाये ।
मिली जुली सरकारो में ही गधे पंजीरी खायें ।
इनको कभी याद नहीं आई,
भारत की महगाई, जाने कौन दिशा..............
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