प्रिय दर्शनी इन्दिरा
विजय सिंह मीणा
स्वर्ग में जब इन्दिरा पहुँची ,
सामने ही यमराज के काउंटर पर ,
भीड़ की एक लम्बी कतार ।
भीड़ से उकताते हुए ,चश्मे को हटाते हुए,
काउंटर पर बैठे सज्जन बोले ,
जी कहिये क्या काम है ।
मन्द्दिम स्वर में इन्दिरा ने कहा ,
जी मुझे महात्मा गाँधी जी का पता चाहिये ।
सज्जन बोले ,
उन्हें तो इस वक्त नेहरु जी की बैठक में होना चाहिये ।
आखिर ढूँढ़ते ढांढते गाँधी जी को पा ही लिया ।
देखते ही गाँधी जी ने गले लगा लिया ।
कहो बेटी मेरे भारत के क्या हाल है ?
क्या भारत रामराज्य, धर्म और अहिंसा से मालामाल है ।
बापू, रामराज्य का स्थान आतंकवाद ले रहा है ।
धर्म और अहिंसा किताबों में कैद हो रहा है ।
सभी कुछ तो परम्परा गत हो रहा है ,
आपको तो तो एक गोली का दर्द अब तक हो रहा है ,
मगर मेरा तो सारा शरीर छलनी हो रहा है ॥
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